Monika garg

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लेखनी कहानी -06-Sep-2022# क्या यही प्यार है # उपन्यास लेखन प्रतियोगिता# भाग(6))

भाग :-6

गतांक से आगे


अभी जोगिंदर को सोये घंटा भर ही हुआ था कि उसे ऐसे लगा जैसे उसे कोई बुला रहा है "सूरज उठो ना । आंखें खोल कर तो देखो।"

जोगिंदर आधा नींद में और आधा जगा हुआ था उसे ऐसे लगा जैसे वही दोपहर सपने वाली लड़की उसे जगा रही थी।

हां वही लड़की तो थी वह । राजकुमारियों जैसे वस्त्र पहन रखे थे पर जोगिंदर अब भी उसकी शक्ल नही देख पा रहा था ।पर वह उसे "सूरज" नाम से कयो बुला रही थी उसका नाम तो सूरज नही है।यही सब सोच रहा था जोगिंदर अर्ध निद्रा में।

तभी वह रोने लगी अब तो जोगिंदर को पक्का विश्वास हो गया कि ये वही हास्टल के तेरह नंबर वाले कमरे मे जो लड़की रो रही थी वही है ।

उसने जब चेता किया तो उसे कोई दिखाई नही दिया।उसे आश्चर्य हो रहा था कि ये उसके साथ क्या हो रहा है कौन है वो लड़की जो उसे बार बार दिखाई देती है शायद वह उससे कुछ कहना चाहती है।पर क्या?

जोगिंदर सोचने लगा कि मां अकसर बताती है कि ऐसी आत्माएं जिनकी कोई इच्छा अधूरी रह जाती है वह उसे पूरा करने के लिए सालों भटकती रहती है और जब अवसर मिलता है तो पूरा कर लेती है।

जोगिंदर ने घड़ी मे देखा रात का एक बज रहा था।उसने अपने सिर को झटका और मन ही मन बोला,"एक बज गया है सुबह जल्दी भी उठना है ।अब मुझे सो जाना चाहिए।"

यह कह कर वह सो गया।रात देर से सोने से सुबह तड़के उसकी आंख ना खुली तभी जोगिंदर की मां उसे जगाने आई,"उठ ,बेटा अभी तक सो रहा है ।शहर नही जाना ।देख सवेरा हो गया।"

जोगिंदर हड़बड़ा कर उठा और बोला,*ओ हो मां ये तो बहुत देर है गयी ।रात भी ठीक से नहीं सो पाया था।"

मां को वो एक बार तो बताने वाला था सपने और उस लड़की के बारे मे । लेकिन फिर ये सोचकर कि शायद वो मेरा वहम होगा।वह चुप रह गया।वह जल्दी से उठा और नित्य कर्म के बाद नहा धोकर तैयार हो गया।इतनी देर मे जोगिंदर के पिताजी भी खेतों से आ गये और बाहर से ही बोले," हो गया जोगी तैयार बेटा?"

जोगिंदर अंदर से बोला,"जी पिताजी बस नाश्ता करना है।"

"देख बेटा कभी बस ना निकल जाए।" जोगिंदर के पिता चिंतित होते हुए बोले।

"नही पिताजी ,अभी नरेंद्र भी आयेगा।और हां आप रात को जब मां को कह रहे थे कि मुझे ज्वर जैसा लग रहा है तो आप रहने दीजिए साथ चलने को ।मै और नरेंद्र तो है ही । वहां हमने एक प्रचार्या से बात कर ली है सब व्यवस्था हो जाएगी।" जोगिंदर चिंतित होते हुए बोला।

"ना बेटा अब मै ठीक हूं।मै चलता हूं साथ।"जैसे ही वो चारपाई पर बैठने लगे एक दम से चक्कर आ गया।

"देखिए पिताजी, आप अभी गिरते। मैंने कहा ना आप नही जाओगे। तबियत इतनी खराब है और साथ जाने की ज़िद ही पकड़े बैठे है। मां अब तुम ही समझाओं पिताजी को।" जोगिंदर ने दौड़कर अपने पिता को चारपाई पर बैठाया।

"अब रहने भी दो । तबियत ठीक ना है आप की।ऐसा कीजो।जब ठीक हो जाओ तब मिल आना शहर बेटे को ओर देख आना कैसा माहोल है।" जोगिंदर की मां उसके पिता के पास जाकर बोली।

"ठीक है ।बेटा पर मै जल्द ही शहर आकर तुम्हे मिल जाऊंगा। कोई जरूरत हो तो टेलीग्राम कर देना। " यह कहकर उसके पिताजी चारपाई पर चादर ओढ़ कर लेट गये।

चादर तो एक आवरण था मां बेटे से अपने आंसूओं को छुपाने का । दरअसल जोगिंदर के पिताजी का कलेजा कल से ही बैठा जा रहा था ।एक ही बेटा । बड़ी मन्नतों से मिला ।एक तरह से बुढ़ापे की औलाद थी ।जिसे देखकर उनका सूरज उगता था अब वही बेटा उन से दूर शहर पढ़ने जा रहा था।मन भारी हो रहा था पर बेटे की जिद के आगे उन्होंने घुटने टेक दिए थे।अब बाप थे खुले मे रोते तो कमजोर कहलाते इसलिए चादर का आवरण ले लिया था उन्होंने।

जोगिंदर भी ये सब समझता था कि पिताजी को उसकी चिंता है। पर उसे अपने लक्ष्य को हासिल करना था।

इतने मे नरेंद्र , हरिया,भोला सब आ गये नरेंद्र का सामना लेकर उन दोनों को विदा कराने। जोगिंदर की हवेली से बस अड्डा थोडी दूर पर था इसलिए हरिया और भोला उन्हें छोड़ने जा रहे थे। नरेंद्र ने घड़ी मे देखा सात बजने वाले थे ।उसने फटाफट नाश्ता खत्म किया और बैग उठाकर मां पिताजी से आशीर्वाद लेकर चल पड़ा। मां दरवाजे पर खड़ी बहुत दूर तक उसे जाता हुआ देखती रही ।फिर आंखें पोंछ कर अंदर आ गयी ,"अब चादर हटा लो जोगिंदर के बापू ।अब आप को रोता हुआ देखने वाला चला गया है जिसे आप कमजोर पड़कर दिखाना नहीं चाहते थे।" 

"अब बस कर ।मै कहां रो रहा हूं।" जोगिंदर के बापू ने आंखे पोंछते हुए कहा।

"बस बस रहने दो जैसे मुझे कुछ पता ही नही।"जोगिंदर की मां आंखें पोंछते हुए बोली।

इधर जोगिंदर का मन भी कट रहा था घर छोड़ते हुए तभी उसने पीछे मुडकर नही देखा उसे लगा अगर वह मुड़ कर देखेगा तो मां को देखकर कमजोर पड़ जाएगा।


वह दोस्तों के साथ बस अड्डे की ओर बढ़ा जा रहा था पर नजरें कुछ ढूंढ रही थी। हां रमनी को ।वह उसे बता कर आया था कि वह सात बजे की बस से शहर जा रहा है उसे विश्वास था वह उससे मिलने ना सही उसे देखने जरूर आयेगी।पर अभी तक रमनी का कही अता पता नही था । जोगिंदर ने सोचा था अगर वह मिलने आई तो समझो प्यार करती है उसे। क्योंकि जोगिंदर को पता था रमनी की मां उसे इतनी सवेरे बस अड्डे नही आने देगी ।पर फिर भी मन मे एक आशा थी ।

वो सब बस अड्डे पहुंच गये।बस चलने मे दस मिनट की देरी थी । हरिया और भोला ने सारा सामान बस मे जमा दिया ओर नीचे आकर दोनों के गले मिल गये ,"भोला बोला,"भाई चिठ्ठी लिखते रहना ।"

"हां हां क्यों नही । नरेंद्र ने सिर हिलाते हुए कहा। जोगिंदर चुप था रमनी के ना आने से मन उदास था पर मन के छोटे से कौने मे आशा की किरण चमक रही थी कि वो आयेगी अपने जोगिंदर को एक बार देखने।

इतने मे बस कंडक्टर ने सीटी बजाई कि बस चलने वाली है। जोगिंदर का मन पूरी तरह से बुझ गया अब आस खत्म हो गयी थी रमनी के आने की।

जैसे ही बस ड्राइवर ने बस स्टार्ट की तभी उसे दूर पेड़ों के झुरमुट मे रमनी दौड़ती हुई दिखाई दी वह बेहताशा दौडती हुई चली आ रही थी ।उसे देखकर जोगिंदर की बांछे खिल गयी ।उसने कंडक्टर से विनती की दो मिनट बस रोकने की ।और वह उतर कर रमनी की ओर दौड़ा।पास आकर हांफती हुई रमनी उसे दुनिया की सबसे खूबसूरत लड़की लग रही थी। आंखों मे आंसू भरकर रमनी ने जोगिंदर की छाती पर घूंसे बरसाने चालू कर दिए।और जोगिंदर भी आंखों मे पानी भरकर हंसे ही जा रहा था और बोला,"क्यूं री मोटी ।रात ज्यादा खा लिया था क्या जो सुबह उठा नही गया।"

"मै तुम्हारी जान निकाल दूंगी ।पता है सुबह सुबह मां ने कितने काम बता दिए थे।और तुमने ही तो कहा था मां का कहना मानना।जब सुंदर काका से समय पूछा तो दौड़ी दौड़ी चली आयी यहां ।और एक तुम है जो बिना मिले ही जा रहे थे।" यह कहकर रमनी जोर जोर से रोने लगी।

जोगिंदर भी उसका सिर अपने सीने पर रखकर सहलाता रहा ।तभी कंडक्टर ने सीटी बजाई,*भाई अगर मिलन हो गया हो तो चले।"

जोगिंदर झे़प गया और बस मे जाकर बैठ गया ।रमनी दूर तक बस के साथ साथ दौड़ती रही। जोगिंदर मना करता रहा,"बस करो रमनी ।तुम गिर जाओगी।"

पर प्यार कहां किसी के रोकने से रुका है।जब बस ने रफ्तार पकड़ ली तो रमनी का चेहरा धुंधला होता चला गया । जोगिंदर का मन कट के रह गया।

उसकी रमनी उसकी आंखों से ओझल हो गयी थी।

पर एक चीज उसका शहर मे इंतजार कर रही थी ।जिस ओर जोगिंदर बढ़ा जा रहा था।

(क्रमशः)


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10 Comments

Chirag chirag

13-Sep-2022 05:09 PM

Interesting part

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Priyanka Rani

12-Sep-2022 04:20 PM

Nice part mam

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Kaushalya Rani

12-Sep-2022 03:28 PM

Very nice

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